Tuesday, July 13, 2021

 मेरी कविताओं में,

मेरे शब्दों में

जो उतार चढ़ाव होता है

वो उसकी आवाज की कशिश होती है ।


जो प्रेम छलकता है

वो उसके अहसास होते हैं ।


जो तड़प और जिज्ञासा दिखती है 

वो उसकी

बदन पे

पड़ने

वाली ,

हर वो सलवट होती है 


जिसे मैंने

उसके

सपनो 

में स्पर्श किया है ।।


---- सुनिल शांडिल्य

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