मेरी कविताओं में,
मेरे शब्दों में
जो उतार चढ़ाव होता है
वो उसकी आवाज की कशिश होती है ।
जो प्रेम छलकता है
वो उसके अहसास होते हैं ।
जो तड़प और जिज्ञासा दिखती है
वो उसकी
बदन पे
पड़ने
वाली ,
हर वो सलवट होती है
जिसे मैंने
उसके
सपनो
में स्पर्श किया है ।।
---- सुनिल शांडिल्य
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