Thursday, July 15, 2021

 एक पूनम दो चाँद,

नज़रे उठाओ तो चाँद

झुकाओ तो चाँद

कमाल थी वो शाम एक पूनम दो चाँद 


मखमली शाम ने,शायर बना दिया

मैंने कही ग़ज़ल आसमान ने लिखा चाँद


इंतज़ार में गली किनारे छिप

वो मुझे देखती मै देखता चाँद


दो रंगो से मुहब्बत के इक सफ़ेद इक स्याह

इन्ही को ओढ़ता-बिछाता रहा एक वो एक चांद 


---- सुनिल शांडिल्य

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