रंग गोरा तेरा जब बरसाओगे मुझ पर
सांवला रंग मेरा भी छा जाएगा तुझ पर
मिलकर लिखेगे फिर नई कहानी हमपर
अहसासों की स्याही चढ़ाएंगे कोरे पन्नो पर
लिखेगे किताब हम दोनों ही फिर मिलकर
अहसास-ए-रूह रखे नाम किताब का मिलकर
---- सुनिल शांडिल्य
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