गर छोड़ दूँ कलम तो
अपनी यारी मर जायेगी
और छोड़ दूँ तेरी यारी को
तो मैं मर जाऊँगा
तेरे सिवा कौन है दोस्त मेरा
बता मैं कहाँ जाऊंगा
तेरे से दिल खोल के बातें की हैं
किसी से क्या कह पाऊंगा
रँगा दिल मेरा तेरी दोस्ती के रंग है
जब से तू मेरे संग हैं
---- सुनिल शांडिल्य
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