Monday, July 5, 2021

 ये जो तुम्हारी पांव की पाजेब है

छनकती कम बहकाती ज्यादा है


जब भी इसकी सुर लहरी

कानों में गूंजती है


सोचता हूं थाम लूं ताउम्र के लिए,

तुमसे बिछड़ने का डर चुभता बहुत है 


अब आ जाओ पहलू में गर भरोसा  है तो..

दाग नहीं लगाऊंगा ताउम्र साथ का वादा है ।


---- सुनिल शांडिल्य

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