Tuesday, August 3, 2021

 ना मैं "जोगी"

ना मैं "बंजारा"

ना मैं "बादल"

कोई "आवारा" हूं   ¦¦


"भटकता" हूं

तेरी ही "धुन" मे

मैं "दीवाना"

मेरी जान तुम्हारा हूं  ¦¦


रहे तू "दूर"

कितनी भी, 

तुझे मुझ से ही "मिलना" है  ¦¦


"लहर" तू "प्रेम"

के "दरिया" की,

मैं तेरा ही तो "किनारा" हूं  ¦¦


---- सुनिल शांडिल्य

No comments:

Post a Comment