Friday, August 13, 2021

 सुनो ~


तुम बिन जीवन..

जैसे श्रृंगार बिन होगी दुल्हन.!


जैसे धरती होगी बिना पवन.!

जैसे सूर्य बिन ये नील गगन.!


जैसे बिन बरखा, के सावन.!

पुष्प रहित हो कोई चमन.!


घर हो कोई बिन आंगन.!

निष्प्राण- सा कोई तन.!


मृत कोई मन.!

जैसे हृदय हो कोई बिन स्पन्दन.!! 


---- सुनिल #शांडिल्य

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