नज़र बहुत लगती
खुबसुरत चीजो पर
ज़रा सा काजल
आंखो पे लगाया करो
एक जमाना हो गया
बारिश में तर हुए
अपनी जुल्फें ज़रा झटक
हमे भी भीगाया करो
मदमस्त ये मौसम है
तलब उठी है मदीरा की
मयखाने हैं बंद पड़े
ज़रा आंखो से पिलाया करो
हमे देख बुदबुदाती क्या हो
कभी हमे भी सुनाया करो
---- सुनिल #शांडिल्य
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