Saturday, August 14, 2021

 नज़र बहुत लगती

खुबसुरत चीजो पर


ज़रा सा काजल

आंखो पे लगाया करो


एक जमाना हो गया

बारिश में तर हुए


अपनी जुल्फें ज़रा झटक

हमे भी भीगाया करो


मदमस्त ये मौसम है

तलब उठी है मदीरा की


मयखाने हैं बंद पड़े

ज़रा आंखो से पिलाया करो


हमे देख बुदबुदाती क्या हो

कभी हमे भी सुनाया करो


---- सुनिल #शांडिल्य

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