श्रृंगार रस मय तेरा बदन
सादगी का पहन ले दामन
गूथ गेसुओं में गजरा गहन
तरसे देखने को तुझे नयन
ह्रदय घर बसा तुलसी मन
शिवालय रूह के अंतरण
महके मोगरा यू तेरे बदन
खुशबू भाये रूहे अंतर्मन
छेड़ रागिनी कोयल कंठन
बिखरा काजल तेरा नयन
कपोलो पर आये थिरकन
मन हो जिसमे मस्त मगन
---- सुनिल #शांडिल्य
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