साँसो में उलझन
बातों में हिचकिचाहट
शब्द फंस रहे
दिल बेचैन सा
मन को फुरसत नही
ख्यालों से उनके
कानो में हवाएं
मधुर सरगम गा रही
बेवक़्त की बारिश
मुझे भिगों रही
लिखता नही मैं
अपने गीतों में उम्मीद
हर पंक्ति में अब
प्यास नज़र आ रही
अग़र है मुझे प्रेम तो
रब उन्हें भी अहसास कराए।
---- सुनिल #शांडिल्य
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