काश.,
तेरे इश्क़ के समंदर में गोते लगाता
तेरी बाहों में सो पाता
तेरी शबनमी आँखो में खो जाता
शब्द रूपी माला में तुम्हें गूंथता रहता
काश_तुम होती है मैं होता और वक़्त होता
इन ज़ुल्फ़ों की घनेरी रातों में सोता
तेरे गोद में सर रख के
ख़यालों में खोता काश....,
---- #शांडिल्य
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