अहले दिल ने सुनाई रात एक ग़ज़ल हमको
चलो बैठो मेरे पास , मैं गुनगुनाऊं उसको
यादें तेरी ख़्वाब तेरे और तेरी ही बातें थीं
आंख जो झपकी मेरी तो मिल लिया तुमको
वो सुनहरी आंखें होठ भी नरम से थे
रात ने मदहोशी में क्या पिला दिया मुझको
बस इश्क़ हुआ मुझको .... ❣
---- सुनिल #शांडिल्य
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