ये सांझ भी तेरी
ये लाली भी तेरी
चलती हवाओं में
ये महक भी तेरी
दूर रहकर भी, मेरे
दिल में धड़कने तेरी
शब्दों का यूं काफिला
तेरी धड़कनों से गुजरे
लिखे जो मेरी कलम
तो तेरे संग शब्द भी मेरे झूमे ।।
---- सुनिल #शांडिल्य
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