तुझे देख कर
अपनी कविता लिखूं
किस लिये?
स्वय को समंदर
तुझ को मैं सरिता लिखूं
झुके नयन
और अधरों मे स्मित
परिचित को
मैं अपरिचिता लिखूं
किस लिये??~
सुनिल #शांडिल्य
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