फूल गुलाब का हाथों में
और होंठो पे मुस्कान
चलो हमसफर चले संग
जिंदगी के बाद जिए हम
फ़िज़ाओं में हो कशिश
जुबां प्रेमगीत गुनगुनाए
बारिश की बूंदों में हो
प्यार की मधुर तरंग
वादा करो लेकर मेरा हाथ
मुड़कर नही देखेंगे गुज़री राह
चाहे हो कोई मौसम
चाहे हो दिन या रात ।।
---- सुनिल #शांडिल्य
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