Wednesday, September 8, 2021

 फूल गुलाब का हाथों में

और होंठो पे मुस्कान


चलो हमसफर चले संग

जिंदगी के बाद जिए हम


फ़िज़ाओं में हो कशिश

जुबां प्रेमगीत गुनगुनाए


बारिश की बूंदों में हो

प्यार की मधुर तरंग


वादा करो लेकर मेरा हाथ

मुड़कर नही देखेंगे गुज़री राह


चाहे हो कोई मौसम

चाहे हो दिन या रात ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

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