Sunday, October 10, 2021

 बेपनाह, बेहिसाब इश्क की

अधूरी मेरी सारी हसरतें रही


कीमत मेरे रूहे-अहसासों की

फिर नज़रो में तेरे कुछ न रही


कशिश वो मेरे रूहे-दिल की

दरमियां दफन हो रूह में रही


तुझसे गुफ्तगू-ए-इश्क की

मेरी हर खव्हिश अधूरी रही


तुम मेरे सबसे करीब होकर

भी मुझसे उतनी ही दूर रही


---- सुनिल #शांडिल्य

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