Saturday, October 9, 2021

 शे'र सुनना तो फकत बहाना है

मुझे तो तुमसे बात करना है


शाम ढले मुंतजिर हूं मुलाक़ात हो

मुझे तो सूरज को चांद करना है


शांत हो दरिया तो सफ़र ही क्या

मुझे तो तूफ़ान का पार करना है..


जानता हूं सज़ा सरकलम है इश्क़

मुझे तो ये गुनाह बार बार करना है


बाद गजल इंतखाबी शेर सुन लो 

मुझे तो इश्क का इजहार करना है 


---- सुनिल #शांडिल्य

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