Monday, October 11, 2021

 गोरा बदन,तेरा चेहरा हिजाबी

निगाह शराबी,रुखसार गुलाबी


बनाकर जुल्फें,करती इशारे

दिखाए कितने ख़्वाब ख़याली


मुमकिन कहाँ की हो नज़्म बयाँ

ग़ज़ल सी तू,या मुकम्मल शायरी


मौसम बेवफ़ा,और क़ातिल अदा

क्यो बहाती है मेरा ख़ून शहाबी


लिख दिया तुझे इन अ'सआर मे

हुआ शेर फिर अल्फ़ाज़ इंतिख़ाबी


---- सुनिल #शांडिल्य

No comments:

Post a Comment