भला, दिन कहाँ ढलता है..
ये तो
एक सफेद पन्ना है जीवन का..
जो पलट कर
काला पड़ जाता है..
पर,
इस गहन अँधेरे में भी ..
मन के आकाश में..
मैं हजारों अंजुलि
टिमटिमाते उजाले फैला देता हूं..
और..उन्हें
निहारता हुआ जीवन,
हजारों बार मुस्कुरा देता है..
---- सुनिल #शांडिल्य
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