दिल की ग़लती से निगाहों में नमी रहती है
बस इसी बात पे दोनों में ठनी रहती है
तुमको देखा तो ये जाकर के भरम दूर हुआ
मैं समझता था फ़लक़ पे ही परी रहती है
तुमने पलकों का मेरी जबसे लिया है बोसा
आँख सोती है मगर नींद उड़ी रहती है
---- सुनिल #शांडिल्य
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