Saturday, October 16, 2021

 दिल की ग़लती से निगाहों में नमी रहती है

बस इसी बात पे दोनों में ठनी रहती है


तुमको देखा तो ये जाकर के भरम दूर हुआ

मैं समझता था फ़लक़ पे ही परी रहती है


तुमने पलकों का मेरी जबसे लिया है बोसा

आँख सोती है मगर नींद उड़ी रहती है


---- सुनिल #शांडिल्य

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