जो नशा तेरी आंखों में है
वो बात कहां मयखाने में है
उड़ती पतंग,समुन्दर के
पानी सी मदहोश तु है
मैं मदमस्त हूं,मदहोश हूं
तेरी आशिकी में मस्त हूं
कैसे तूझे अपना बनाऊं मैं
ये सोचने में दिल मेरा व्यस्त है
तुझे देखकर रोज जीता हूं मैं
आज तुझपे मरने का इरादा है ।।
---- सुनिल #शांडिल्य
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