उसकी गली में हम थे
फिर भी उससे कोसो दूर थे
वो भी मौजूद वही थे
पर फांसले समुंदर जैसे थे
कैसे कह दे दुश्मन थे
अजीज दिल के मेरे वही थे
अंधेरों में जो मेरे साथ थे
आज उजालों में भी पास न थे
जिसके हर कदम साथ थे
आज वो हमारे इक कदम साथ न थे
---- सुनिल #शांडिल्य
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