Friday, October 22, 2021

 उसकी गली में हम थे

फिर भी उससे कोसो दूर थे


वो भी मौजूद वही थे

पर फांसले समुंदर जैसे थे


कैसे कह दे दुश्मन थे

अजीज दिल के मेरे वही थे


अंधेरों में जो मेरे साथ थे

आज उजालों में भी पास न थे


जिसके हर कदम साथ थे

आज वो हमारे इक कदम साथ न थे


---- सुनिल #शांडिल्य

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