जा पहुंचा मयखाने
दर्दे दिल का पता
ढूंढते ढूंढते.,मैं
तुझे भुलाने की दवा
मयकशी बतायी साकी ने
खुद को तबाह करने की
नायाब तरकीब बताई थी
ज्यूँ ज्यूँ जाम पीता गया
तेरा ही अक्स नजर आता गया
ये मेरी बेसुधी थी या
तेरी मोहब्बत का असर
जाम में भी तेरा ही
अक्स नजर उभरता गया ।।
---- सुनिल #शांडिल्य
No comments:
Post a Comment