Wednesday, October 27, 2021

 बेरंग से अब सब नूर है

उजालों में अंधेरे खूब है

तुझ बिन कहा वो रंग है

तेरे संग से ही मुझमें नूर है


बोझल, ओझल ख़्वाब है

ख़्वाब में तेरा ही अक्स है

दूर मुझसे इतना तू क्यूँ है

करीब रूह के मेरे तू ही है


तुझ बिन उजड़ा आशिया है

गया छोड़ के जाने तू कहा है

तुझसे जुदा कहा मेरा जहा है 


---- सुनिल #शांडिल्य

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