बेरंग से अब सब नूर है
उजालों में अंधेरे खूब है
तुझ बिन कहा वो रंग है
तेरे संग से ही मुझमें नूर है
बोझल, ओझल ख़्वाब है
ख़्वाब में तेरा ही अक्स है
दूर मुझसे इतना तू क्यूँ है
करीब रूह के मेरे तू ही है
तुझ बिन उजड़ा आशिया है
गया छोड़ के जाने तू कहा है
तुझसे जुदा कहा मेरा जहा है
---- सुनिल #शांडिल्य
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