सांस रुक जाए
मगर आंखें कभी बंद न हो
मौत आए भी तो
तुझे देखने की जिद खत्म न हो
तेरे लिए है ये दुआ मेरी
मेरे खातिर कोई भी जख्म न हो
जिन चिरागों को जलाने को आग नही
उन लाशों पर कभी जुगनुओं का जश्न न हो
जिंदगी तुमसे मेरा खून का रिश्ता
मगर ऐसे रिश्तो में कभी जन्म न हो ।।
---- सुनिल #शांडिल्य
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