गुजरा जो इक जमाना तेरे साथ मे
दुनिया से पर्दा रहे रूहानी साथ मे
हमदम,हमराज,खुदा जैसे साथ मे
कभी खुशी,कभी गम रोये साथ मे
बिछुड़े फिर न मिले कभी साथ मे
रहते हो फिर भी हमारी हर सांस में
कभी यादों के गहराये हुए बवंडर में
संजोया है तुमको इश्क-ए-लफ्ज़ो में
--- सुनिल #शांडिल्य
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