उफ्फ़ ये पल, उफ्फ़ वो पल
सोचने में गुजर गए, हर पल
न खत्म हुआ इंतजार-ए-पल
बेताबिया बढ़ती गई, हर पल
न आया लौट के गुजरा जो पल
उम्र ढल गई, इंतजार में हर पल
इक आस सी बंधी रहती हर पल
बेबसी सी छाई आँखों मे हर पल
नश्तर से चुबते है रूह में हर पल
अजीब दर्द से निकले दम हर पल
---- सुनिल #शांडिल्य
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