Monday, December 20, 2021

 उफ्फ़ ये पल, उफ्फ़ वो पल

सोचने में गुजर गए,  हर पल


न खत्म हुआ इंतजार-ए-पल

बेताबिया बढ़ती गई,  हर पल


न आया लौट के गुजरा जो पल

उम्र ढल गई, इंतजार में हर पल


इक आस सी बंधी रहती हर पल

बेबसी सी छाई आँखों मे हर पल


नश्तर से चुबते है रूह में हर पल

अजीब दर्द से निकले दम हर पल 


---- सुनिल #शांडिल्य

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