उपहास का पात्र बन कर रह जाता है
शख्स जो एक_तरफा साथ निभाता है
पागल, आशिक, आवारा कहलाता है
खुशिया काफूर कर जो साथ निभाता है
दरमियां लफ्ज़ो में ही अच्छा लगता है
गुजरता जो इस पथ, उसे पता चलता है
बेबसी और तनहाइयाँ यू कचोटती है
खातिर इक रिश्ते के अपनो से दूर ताउम्र हो जाता है
---- सुनिल #शांडिल्य
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