फ़लसफ़ा-ए-इश्क हर कोई कह गया
जिसने गुजर के देखा इश्क समझ गया
बेजुबाँ सा बिन "लफ्ज़" सब कह गया
टूट के इश्क में खामोशियों में खो गया
दिन के उजालों में अंधेरा वो देख गया
इश्क अँधेरी रातों में उजाला देख गया
आलम बेताबियों में सुकूँ वो देख गया
इंतजार के इक-इक लम्हे को पी गया
---- सुनिल #शांडिल्य
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