गुफ्तगू उनकी उन रातो की
यादे बन रह गई मेरे दिल की
मस्तानी चाय अल सुबह की
तदबीर बन गई मेरे ख्यालों की
वो रूहानियत उनके इश्क की
रवानीयत बन गई अहसासों की
बेरुखी दरमियां उनकी वफ़ा की
नीर बन गए मेरी जलती आँखों की
लिखू कहानी जो उनके अहसास की
जाने कहा से भर लाती पलके अश्क की
---- सुनिल #शांडिल्य
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