Saturday, January 15, 2022

 'दिलकशी' ने उसकी दीवाना बनाया

"उन्स" बनकर दरमियां रूह में छाया


महोब्बत में उसकी फिर में यू गहराया

अक़ीदत-ए-इबादत में खुद को डुबोया


जुनून बनकर वो रूहे जर्रे-जर्रे में समाया

फिर जिन्दा हो भी कहा में जिन्दा कहलाया


हर घड़ी, हर पहर उसकी यादों को सजाया

वो होकर भी गैर हरपल मुझमें ही समाया 


---- सुनिल #शांडिल्य

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