Monday, January 17, 2022

 उसने मेरी आँखों

के श्वेताभ मे झांक

कर पूछा  - :  "मन चुरा

लेने की पीडा

जानते हो ना तुम"??


जानता हूं  :-  "पर

कामनाओं की निर्झरणी जो

बहती है ,, उस का

क्या करूँ" ??


सुनो ~


"क्या कुछ पल तुम्हें

दुलार नहीं सकता"?? 


"अपनी आकांक्षाओं के पँख

कुछ पल तुम्हारे मन के आसमान

पर विचरने देना चाहता हूं"


वो बोली  " तुम कोरी

कल्पना मे जीना चाहते हो :


नहीं ,,


"मैं  सदा तुम मे विद्यमान हूं

तुम्हारे मन के निर्मल मे श्वेताभ

शतदल बन ,, आंखों मे मोती बन

तुम मे ही..अनवरत.! ~


---- सुनिल #शांडिल्य

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