हर किसी को इक पहचान चाहिए
"कंगूरे" सा खुद का निमार्ण चाहिए
नींव सा पत्थर अब किसे चाहिए?
सबको सुर्खियों में पहचान चाहिए
सबको सिर्फ दौर-ए-ख़्वाब चाहिए
मजबूत नींव भला किसे चाहिए?
झूठे ख्वाबो की सी तदबीर चाहिए
वास्ता-ए-हकीकत अब किसे चाहिए?
---- सुनिल #शांडिल्य
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