लफ्ज़ जब रूह से निकलते है
समुंदर अहसासों के पिघलते है
ये जो दर्द फेसबुक पर बिखेरते है
रिवाजो के बंधन टूटने से डरते है
यू ही नही बदल कर नाम रखते है
नाम मे 'खास' की पहचान रखते है
रूह में रह कर भी अनजाने रहते है
ये वो रिश्ते है जो अहसासो में रहते है
---- सुनिल #शांडिल्य
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