मेरे खामोश लब पे तुम
अपने ये दो चंचल लब रख
कहती हो कुछ बोलने को
निःशब्द हो जाता हूं
तेरे इन दो लबों को महसूस कर
कहना चाहता हूं बहुत कुछ
पर कह नही पाता कुछ
करता हूं महसूस तेरे वजूद को खुद में
शब्द नही अब तेरे मेरे दरम्यान
बस इक खामोशी और हम तुम
---- सुनिल #शांडिल्य
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