जीवन है इक बुलबुला
न जाने कब फुट जायेगा
आज है साथ सांसों का
न जाने कब छूट जायेगा
न बांध गांठ तू किसी से
न जाने कब साथ छूट जायेगा
ढाई लफ़्ज़ है जो प्रेम के
बाद तेरे वही यहा रह जायेगा
अनमोल रिश्ते अहसासों के
फिर तू कहा किस से पायेगा
आज है साथ जी ले साथ
किसे पता कौन कल रह पायेगा
---- सुनिल #शांडिल्य
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