क्या कहूं कैसा हूं मैं
ख़ुद में क़ैद
ख़ुद में मुक़म्मल हूं
खुद से जीतता हूं
खुद से हारता हूं
जज्बातों में उलझा
सुलझा रहा हूं खुदको
बोझिल आंखो में सिमटे हैं
इश्क के सारे किस्से
जुनून सा है बस
तुझे पाने का
हर लम्हा मैं
तुम हूं
बस चंद सांसें बची
जो है तेरे हिस्से की
---- सुनिल #शांडिल्य
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