Saturday, March 26, 2022

 क्या कहूं कैसा हूं मैं


ख़ुद में क़ैद

ख़ुद में मुक़म्मल हूं

खुद से जीतता हूं

खुद से हारता हूं


जज्बातों में उलझा

सुलझा रहा हूं खुदको


बोझिल आंखो में सिमटे हैं

इश्क के सारे किस्से


जुनून सा है बस

तुझे पाने का 


हर लम्हा मैं

तुम हूं


बस चंद सांसें बची

जो है तेरे हिस्से की


---- सुनिल #शांडिल्य

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