Thursday, March 31, 2022

 पंखुरी से अधर-द्वय

तनिक चूम लूं


रंग भर दूं

गोधूली आकाश सा


अधर के दाहिने तरफ

सजा दूं इक तिल


फिर प्रवाहित करूं

चुंबनों की नीर


करूं विद्रोह में

मन की सीमाओं से


तोड़कर चांद गगन से

बाँध दूं आँचल के छोर से


फिर मांग भर दूं

तुम्हारी सितारों से मैं


---- सुनिल #शांडिल्य

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