Friday, April 1, 2022

 चकित हिरनी सी चली 

बनकर बांवरी मेरी सजनी


हिय हिलोर बाँक चितवन

पिया मिलन को प्रफुल्लित तन


मन में ढेरों उठे तरंग

चंचल नैना सकुचाते पग


घूँघट ओट निहारे मुझको

लाज का गहना ओढ़े सजनी


जानकर हाल सजनी का

बढ़ाया हाथ थामी कलाई


सकुचाई मुस्काई आई आगोश मे

अनावृत हुए लाज के पर्दे


---- सुनिल #शांडिल्य

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