Saturday, April 2, 2022

 मैं बहता हूं दरिया सा

तू इश्क की नदी सी


मैं कल कल करता शोर सही

तू बहती प्रेम सरिता सी


मैं बरसता बादल सा

तू नाचती मोरनी सी


मैं राग छेड़ता सावन सा

तू मस्तमगन कुन्हु करती कोयल सी


आ छेड़ दे कोई तराना प्रेम का

गीत गजल नज्म जो भी हो वो


सरगम हो वो बस

तेरे मेरे ❤️प्रेम का


---- सुनिल #शांडिल्य

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