Friday, April 15, 2022

 बेवजह  मुस्कुराना  सीख लिया है ,

ग़म-ए-दिल छुपाना सीख लिया है ।


ऐ  चाँद  तू भी दे  अब तपिस मुझे ,

आग पर चल जाना सीख लिया है ।


राहों  मे  फ़क़त  कांटे  हैं  तो  क्या ,

ज़ख्मी पांव चलाना  सीख लिया है ।


किसी का भी नही असली चेहरा यहां ,

"शांडिल्य"नक़ाब लगाना सीख लिया है ।


---- सुनिल #शांडिल्य

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