बेवजह मुस्कुराना सीख लिया है ,
ग़म-ए-दिल छुपाना सीख लिया है ।
ऐ चाँद तू भी दे अब तपिस मुझे ,
आग पर चल जाना सीख लिया है ।
राहों मे फ़क़त कांटे हैं तो क्या ,
ज़ख्मी पांव चलाना सीख लिया है ।
किसी का भी नही असली चेहरा यहां ,
"शांडिल्य"नक़ाब लगाना सीख लिया है ।
---- सुनिल #शांडिल्य
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