मुझको तेरा अक्स दिखे
बादलों के झुरमुट में
परिजात के पुष्प हो बिखरे
कोमलांगी पग जहां तेरे पड़े
तेरे आने से मेरी प्रेयसी
लगे धरा पे नवांकुर फूटे
मनभावन प्रेम से ओतप्रोत
मधुर चांद के आगोश में
मन मेरा हो कामातुर
जो तोसे मोरा नैन भिड़े
मधुरमिलन की हो व्युहरचना
जो अंग से अंग लड़े।
---- सुनिल #शांडिल्य
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