Sunday, April 3, 2022

 मुझको तेरा अक्स दिखे

बादलों के झुरमुट में


परिजात के पुष्प हो बिखरे

कोमलांगी पग जहां तेरे पड़े


तेरे आने से मेरी प्रेयसी

लगे धरा पे नवांकुर फूटे


मनभावन प्रेम से ओतप्रोत

मधुर चांद के आगोश में


मन मेरा हो कामातुर

जो तोसे मोरा नैन भिड़े


मधुरमिलन की हो व्युहरचना

जो अंग से अंग लड़े। 


---- सुनिल #शांडिल्य

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