अधर बाबरे जिव्हा पागल
कहने को कुछ भी कह जाएं
किस मुंह से मैं कह दूं बोलो
तुमसे मुझको प्यार नहीं है।
एक नहीं है अनगिन बातें
जबकि तुम्हारा प्यार दिखा है
मान मनव्बल पाया तुमसे
मनचाहा मनुहार दिखा है
रुठा हुआ मनाया तुमने
अपने हृदय लगाया तुमने
किस मुंह से मैं कह दूं बोलो
तुमसे मुझको प्यार नही है।
---- सुनिल #शांडिल्य
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