उस तपिश में पिघलते है
दो मन दो तन ..
बीजारोपण होता है
मिलन का ..
अंकुरित होती है
फलती है ..
प्रेम का वटवृक्ष ..
प्रेम के वटवृक्ष के छांव में,
सुकूँ पाती हैं
वह प्रेमी और प्रेमिकाएं नही,
होती हैं दो रूहें
---- सुनिल #शांडिल्य
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