Friday, April 29, 2022

 उस तपिश में पिघलते है

दो मन दो तन ..

बीजारोपण होता है

मिलन का ..

अंकुरित होती है

फलती है ..

प्रेम का वटवृक्ष ..


प्रेम के वटवृक्ष के छांव में,

सुकूँ पाती हैं

वह प्रेमी और प्रेमिकाएं नही,

होती हैं दो रूहें


---- सुनिल #शांडिल्य

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