Saturday, April 9, 2022

 सम्हालो आंचल जरा तुम

की बूंदें आज जरा मदहोश है


भींगा यौवन इठलाता बदन तेरा

की बहके बहके से कदम हैं 


भींगी बरसात फिज़ा खुशगवार

की पायल करे तेरी शोर है 


गिरती बूंदें आज बेहोश है

की चूमा इसने तेरे रुखसार को है


बहक जानें दो रात काली घटाटोप है

की मदहोश आज हम हैं


---- सुनिल #शांडिल्य

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