Tuesday, May 17, 2022

 तेरी इक छुअन की

तमन्ना कबसे पाल रखी


पास आओ की

जज्बात मेरी मचली है


अब मुझको दूर से

यूं न तड़पाओ तुम


रात है शमां है

बहके बहके अरमान हैं


चली पुरवाई 

हुआ बदन सर्द


सीने से लगकर

सांसो से सुलगा दो तुम


शर्म लाज की घुंघट

का परदा हटा अब


की आखिरी सांस तक

तू मुझे जरूरी है !


---- सुनिल #शांडिल्य

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