कुछ अच्छा है
कुछ सच्चा है
कुछ प्यारा भी है
थोड़ा अल्हड़ भी है
पर जो भी है बड़ा
कमबख्त है ये इश्क
सिसकता है
दर्द देता है
कभी खुशी भी देता है
पर जो भी है
अजीब है ..
ये अहसास ..
क्या नाम दूं इस अहसास को ?
कुछ समझ न आता
आखिर ये चाहता क्या है ..
कमबख्त इश्क ..
---- सुनिल #शांडिल्य
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