सिसकती रात सी
मुझमें काला दाग क्यूं है
दिखता सर्द हूँ पर
दिल में आग ही आग क्यूं है
मैं रात से बोला
ओ काली रात तू है निराली
तू हसीन तू मनचली
तेरे दिल में खलबली क्यूं है
छोड़ दे सारे गिले शिकवे
मत तोड़ इश्क के सिलसिले
लगी मुझे किसकी बददुआ
अब वो मेरे साथ नही क्यूं है
---- सुनिल #शांडिल्य
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