Saturday, May 21, 2022

 सिसकती रात सी

मुझमें काला दाग क्यूं है


दिखता सर्द हूँ पर

दिल में आग ही आग क्यूं है


मैं रात से बोला

ओ काली रात तू है निराली


तू हसीन तू मनचली

तेरे दिल में खलबली क्यूं है


छोड़ दे सारे गिले शिकवे

मत तोड़ इश्क के सिलसिले


लगी मुझे किसकी बददुआ

अब वो मेरे साथ नही क्यूं है


---- सुनिल #शांडिल्य

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