Wednesday, May 25, 2022

 वो बरसात

वो मुलाकात

छत से टपकती बूंदें

उन बूंदों के पीछे

खिड़की की चौखट से

झांकती दो जोड़ी आंखे..


जो निहारती रहती यदा कदा मुझे

कभी नजरें चुराती

कभी पलकें झुकाती

जो नजरें मिलती

हया से ..

गाल हो जाते गुलाबी

उफ्फ वो बरसात शराबी..


होता मैं मदहोश,

उन नजरों का जाम चख कर..


---- सुनिल #शांडिल्य

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