Friday, May 27, 2022

 क्यूं मेरे नजदीक इतनी आ रही हो

क्यूं लबों को लबों से टकरा रही हो


महक रही है उफ्फ तेरी गरम सांसें

मेरी  रूह  को  क्यूं  महका रही हो


होंठो से मेरे होंठों पे गुनगुना रही हो

धडकनों की रफ्तार को बढ़ा रही हो


जाल जुल्फों  का  बिखेर  रही हो

गिरफ्त ए इश्क में मुझे ले रही हो


---- सुनिल #शांडिल्य

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